पेनाइल कैंसर दुर्लभ कैंसर में से एक है, और जिन पुरुषों का सर्कम्सिश़न (खतना) नहीं किया गया हो उन पुरुषों में यह अधिक आम है। इसके अलावा दिर्घकालिक एचपीवी संक्रमण भी पेनाइल कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है।
पेनाइल कैंसर तब होता है जब लिंग में मौजूद सेल्स (कोशिकाएं) असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर का रूप ले लेती हैं।
पेनाइल कैंसर दुर्लभ कैंसर में से एक है, और जिन पुरुषों का सर्कम्सिश़न (खतना) नहीं हुआ है उनमें यह अधिक आम है। इसके अलावा दीर्घकालिक एचपीवी संक्रमण भी पेनाइल कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है।
यदि पेनाइल कैंसर का प्रारंभिक चरणों में पता चल जाता है तो इसका सबसे अच्छा इलाज किया जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें और तत्काल चिकित्सा के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।
जिस प्रकार की सेल्स (कोशिका) से वे उत्पन्न होते हैं, उसके आधार पर पेनाइल कैंसर को निम्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है :
पेनाइल कैंसर का शुरुआती चरणों में पता लगाना आसान है क्योंकि लिंग की संरचना और दिखावट में बदलाव पेनाइल कैंसर के पहले लक्षणों में से एक है। पेनाइल कैंसर के अन्य प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं :
ये लक्षण हमेशा पेनाइल कैंसर का संकेत नहीं देते हैं; यह लक्षण किसी प्रकार के संक्रमण के परिणाम स्वरुप भी हो सकते हैं। हालांकि, सुनिश्चित करने के लिए, बिना किसी देरी के डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
पेनाइल कैंसर के सटीक कारण अज्ञात हैं। हालांकि, कुछ जोखिम कारक हैं जो पेनाइल कैंसर होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। पेनाइल कैंसर से जुड़े महत्वपूर्ण जोखिम कारक निम्नलिखित हैं :
यदि पेनाइल कैंसर का जल्दी निदान हो जाता है तो इसका इलाज करना तुलनात्मक रुप से आसान होता है। पेनाइल कैंसर का पता लगाने और निदान करने के लिए डॉक्टर द्वारा विभिन्न परीक्षणों की सिफारिश की जाती है :
पेनाइल कैंसर के प्रबंधन के लिए कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं। उपचार योजना तैयार करने से पहले कई कारकों, जैसे कि रोग का चरण, ट्यूमर का सटीक स्थान, इसका ग्रेड, मरीज़ की उम्र, मरीज़ की कुल स्वास्थ्य स्थिति आदि पर विचार किया जाता है।
आमतौर पर, पेनाइल कैंसर के उपचार की योजना में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) और कीमोथेरेपी शामिल हैं।